Monday, August 27, 2018

莫迪:金砖银行首个项目应以环保为先

本周,新兴经济体国家将签署协议成立金砖国家新开发银行。印度总理纳伦德拉•莫迪表示,新开发银行的首个投资项目应锁定在清洁能源领域。
 
在上周四举行的乌法峰会上,巴西、俄罗斯、印度、中国和南非五国称将为新开发银行提供500亿美元(3110亿元人民币)的“启动”资金,从而与西方借贷机构相抗衡。
 
莫迪在距莫斯科东南部730英里的乌法召开的峰会开幕式上说道:“我希望金砖国家新开发银行的首个大型投资项目能够锁定在清洁能源领域。”
 
与总部位于上海的新开发银行相比,联合国目前规模仅为100亿美元的绿色气候基金(Green Climate Fund)就显得微不足道了。乌法峰会召开前,新开发银行主席就已表示,银行或将于明年四月启动首个投资项目。
 
有人担心新开发银行缺少对碳密集型投资项目的限制,如能够为发展中国家提供廉价能源的燃煤电厂等。而莫迪的话打消了他们的疑虑。
 
尽管如此,太阳能电站、抗旱作物等环保项目在新开发银行投资金额中所占的比例依然不甚明朗。
 
莫迪称气候变化问题是“人类面临的最大的挑战之一”,并且各国需要在今年12月巴黎举行的联合国气候大会上做出 “重大决策”。
 
他表示,金砖国家有能力也有资源发展可再生能源和节能技术,从而“让所有人都能用得起和用得上这些技术”。
 
莫迪的中国伙伴习近平主席表示,气候变化和全球发展是2015年的“重中之重”。
 
新开发银行的各成员国分别提供了100亿美元的资金,并共同筹集了1000亿美元建立了一个应急储备。
 
金砖国家共有30亿人口,其GDP占全球GDP的20%,几乎与美国持平。
 
2010年,金砖五国的温室气体排放约占全球排放总量的40%,其中中国占22%。因此,金砖国家在国际气候协议谈判中扮演着至关重要的角色。
 
到2030年,新兴经济体的能源消费将大幅提高。然而印度至今仍有3亿多人口无法获得稳定的电力供应。
 
中国和印度在太阳能领域的强劲发展势头将使两国在可再生能源领域独占鳌头。

Thursday, August 16, 2018

心理年龄和生理年龄:哪个对健康更重要

和身高以及鞋码一样,你来到这个世界的年头是不可改变的事实。但日常经验表明,通常我们的衰老程度与实际年龄并不相符,很多人感觉自己比实际年龄更衰老或更年轻。
科学家们对这种特点的兴趣渐增。他们开始发现,"主观年龄"至关重要,这有助于理解为什么有些人随着年岁增长精神愈发饱满,而另一些人则未老先衰。弗吉尼亚大学的诺塞克(Brian Nosek)说:"年纪大的人觉得自己在多大程度上小于自己的实际年龄,可能会决定他们如何做出日常判断或生命决策。"
"主观年龄"的重要性不止于此。各种研究甚至表明,你的主观年龄还可以预测各种重要的健康状况,包括死亡风险。在现实生活中,有时候你真的"只有你感觉的那么老"。
鉴于这些诱人的结果,许多研究人员正在深入剖析影响个人衰老的生物学、心理学和社会因素,以及这种认识如何帮助我们活得更长久、更健康。
这种对衰老过程的新认识已经酝酿了几十年。最早记录主观年龄与实际年龄差距的研究出现在20世纪七八十年代,最初的兴趣从涓涓细流变成滔滔泉涌。过去的10年里,大量新研究探索了这种差异带来的潜在心理和生理后果。
最有趣的一个方面是,研究探索了主观年龄与个性之间的联系。现在大家普遍认为,随着年龄增长,人们会变得更成熟,变得不那么外向,也不太有开放的心态去尝试新经历。性格变化在心态年轻的人身上表现得不太明显,而在主观年龄较大的人身上则表现更明显。
然而,有趣的是,主观年龄较低的人会更有责任心,不那么神经质,而这些特征是正常衰老过程中产生的积极变化。因此,随着生活经验的累积,这些人似乎增长了智慧,但这并非以青春活力和能量为代价。较低的主观年龄并不意味着永远不成熟。
随着年龄的增长,觉得自己比实际年龄年轻的人患抑郁症的风险更低,心理健康状况也更好。这也意味着他们的身体更健康,包括患痴呆症的风险更低,因生病而住院的几率也更少。
蒙彼利埃大学(  )的斯蒂芬(  )对三项纵向研究的数据进行了分析,这些研究总共跟踪了逾1.7万名中年和老年参与者。
大多数人感觉自己比实际年龄小八岁。但有些人觉得自己已经衰老了,这种想法产生了严重的后果。在研究期间,觉得自己比实际年龄大8到13岁的人,死亡风险高出了18-25%。甚至当控制了其他人口学因素,如教育、种族或婚姻状况时,这些人仍会承受更重的疾病负担。
有很多原因可以解释为何主观年龄与健康状况息息相关。这可能是性格变化带来的直接结果,较低的主观年龄意味着,随着年纪增长你可以享受更多活动(比如旅行,或者培养一项新爱好)。史蒂芬说::"研究发现,主观年龄可以预测身体活动模式。"
但将身心健康与主观年龄联系起来的机制肯定是双向作用的。当你感到沮丧、健忘、体弱,你可能会觉得自己老了。这是一个恶性循环,心理和生理因素都将导致主观年龄增加和健康状况恶化,我们会觉得自己更年迈、更脆弱。
史蒂芬的分析结果刊登在了《身心医学》(  )期刊上,这是迄今为止关于主观年龄对死亡率影响的规模最大的研究。这些因主观年龄产生的巨大效应需要密切关注。"这些关联与实际年龄所带来的影响相当,甚至更强,"斯蒂芬说。
换句话说,主观年龄比出生证上的日期更能预测你的健康状况。
考虑到这一点,许多科学家正在寻找影响这一复杂过程的社会及心理因素。什么时候我们开始察觉到思想和身体在不同的时间尺度上发展?为什么会这样?
诺塞克和同样在弗吉尼亚大学工作的林德纳(Nicole Lindner)一起研究了人一生中主观年龄和实际年龄之间的差异是如何演变的。你可能已经预料到,大多数孩子和青少年觉得自己比实际年龄要大。但这种情况在25岁左右就开始转变了,那时人们感觉心理年龄要比实际年龄小。到30岁时,大约70%的人觉得自己比实际年龄要年轻,并且这种差异只会逐渐拉大。正如诺塞克和林德纳在论文中所说,"主观老化似乎发生在火星上,而地球上的10年只相当于火星上的5.3年。"
林德纳和诺瑟克还测量了参与者的"期望年龄"。令他们惊讶的是,期望年龄比主观年龄更小。诺塞克说:"期望年龄一直在增长,只是比我们现在的感觉慢一点。"这点似乎验证了这样一种观点,即"我们的生活体验在不断变好,只是比实际体验慢一点,"他说。并不是说只有一个高峰年龄。同样,这种情况发生在25岁左右:在20多岁的年轻人中,有60%想要变老。但到了26岁时,70%的人会更希望自己年轻一些,从那时起,大多数人都会用最乐观的眼光看待过去。

Tuesday, August 14, 2018

“港独”陈浩天争议中演讲 批评者目标何在

全球最宜居城市最新排名公布,奥地利首都维也纳挤下连续七年位居第一位的澳大利亚墨尔本,成为2018年全球最宜居城市。
这是经济学人信息社(
在亚洲城市方面,日本的大阪排名第三,是排名最高的亚洲城市,东京排名第七,大阪和东京是唯一两个进入前十名的亚洲城市。
在华人城市方面,香港排名第35,也是排名第三高的亚洲城市。
新加坡排名第37,近两年来与香港排名呈现拉锯竞争。
台北排名第58,比去年进步2名,超越了排名第59的韩国首尔。
中国大陆排名最高的是苏州,第74,北京排名第75,天津第77,上海第81,深圳第82,大连第90,广州第95,青岛第97。
超过八成人认为,一边吃饭一边打电话是绝对不行的,但是我们有一半人都在饭局上见过别人打电话。四分之一以上的年青人承认自己这么干过。
英国礼仪咨询公司的戴安娜·马瑟说:“在吃饭、开会和派对时,电话应该关机,收起来。你那一刻见面的人才是最重要的。我们谁也没有那么重要,离了世界就不转。”
这么做有什么好处?不妨看看英格兰足球队的做法。他们在全队集体用餐时,都把手机放在一旁。结果,他们出人意料地进入世界杯半决赛。士气如此之高,是偶然吗?
对某个年龄段的人来讲,即便在餐桌上看一眼手机屏幕也算无礼举动。
55岁以上的人士,有八成认为查看手机上的短信、通知等都是不能接受的举动。但18-34岁年龄段的人,只有大约一半有此看法。
在公交车上听音乐、玩游戏和看视频的人越来越多,但是如果不用耳机,大声播放则是无礼举动。
英语中,对这样的做法有一个专门用词sodcasting(在公共场所用手机喇叭播放音乐)。这被简称为“公放音乐”。
虽然四分之三的人对这种罔顾他人的做法持反对态度,但这么做的大有人在。
你在超市里排队付款,就要轮到你时,电话响了。你是一边接电话,一边结帐呢?还是挂断电话,向收款员打声招呼?
对很多售货员、接待员和餐馆侍应生来说,顾客旁若无人继续接电话的行为让他们很烦躁。
在英国一家大型超市Sainsbury's, 收银员因为顾客不肯放下电话而拒绝提供服务。最后,超市为此道歉。
英国礼仪咨询公司的戴安娜·马瑟说:"上面开大会,下面发短信是极为无礼的行为。如果我们不能集中注意力,我们就浪费了很多机会彼此增进了解。"
譬如说,2016年英国议会,当影子财相约翰·麦克唐纳发言时,少数人在认真听,多数人的眼睛盯着手机。
一边走路,一边目不转睛地看手机的人很多。有时候,他们还会冲着你过来,对你视而不见。
问题是,边走路边看手机,不仅会挡路,而且有危险。
有人曾在推特上发出警告:在公共场所、公共建筑物和医院内以及倒车的大卡车附近放下手机,专心看路以免被撞。
路上或许也有不为注意的坑洼之处,不加留意有崴脚甚至骨折的危险。
与家人一起看电视时,是否可以看手机?不同年龄段的人,对此的看法也不同。
对超过55岁的人来说,六成以上的人觉得不可以这么做。
而更年轻的人,则只有20%的人觉得这么做有问题。
)发布全球最宜居城市年度报告以来,欧洲城市首次称霸榜首。
2018年全球最宜居城市排名一共收录了全球140个城市,评比条件包括政治和社会稳定度,犯罪率(安全性),教育品质和居民医疗保健等方面。
调查报告编辑斯拉夫查瓦(  )表示,多个西欧城市的治安有所改善,维也纳位居第一显示“欧洲大部分地区回归稳定”。
今年全球最宜居城市排名中,曼彻斯特排名第35,比去年进步16名,是跨越幅度最大的欧洲城市。
伦敦排名第48,比去年进步5名,但比曼彻斯特落后13名,是两座城市差距最大的一次。
经济学人信息社表示,曼彻斯特排名远远超前去年,是因为安全性大幅提高的缘故。
去年,曼彻斯特一场演唱会遭到攻击,一共有22人死亡,导致去年的排名落后。

Friday, August 10, 2018

देवरिया बालिका गृह चलाने वाली गिरिजा त्रिपाठी कौन हैं?

देवरिया में बालिका संरक्षण गृह में कथित तौर पर लड़कियों के साथ यौन शोषण होने का मामला हाल ही में सामने आया और उसकी संचालक गिरिजा त्रिपाठी अब पुलिस की गिरफ़्त में है.
लेकिन गिरिजा त्रिपाठी पिछले बीस साल से एक-दो नहीं बल्कि गोरखपुर और देवरिया में कई महिला संरक्षण गृह चला रही हैं और इस दौरान दिनों-दिन उनकी तरक़्क़ी भी होती रही.
गिरिजा त्रिपाठी और उनके पति मोहन त्रिपाठी को क़रीब से जानने वाले दिनेश मिश्र बताते हैं, "मोहन त्रिपाठी यहीं नूनखार गांव के रहने वाले हैं. पहले भटनी चीनी मिल में काम करते थे."
"बाद में मिल बंद हो गई तो नौकरी भी चली गई. गिरिजा त्रिपाठी ने वहीं पर एक संस्था बनाकर महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई सिखाना शुरू किया और बाद में वो मां विंध्यवासिनी सेवा समिति बनाकर महिला संरक्षण गृह चलाने लगीं."
दिनेश मिश्र बताते हैं कि इस संस्था के नाम पर वो कई महिला संरक्षण गृह, विधवा आश्रम और कुछ परामर्श केंद्र चलाती हैं.
गिरिजा त्रिपाठी आज लोगों की नज़रों में 'खलनायिका' जैसी दिख रही हों लेकिन अब से कुछ दिन पहले तक देवरिया और गोरखपुर में उनकी छवि एक समाजसेवी की थी.
सरकारी और ग़ैर-सरकारी स्तर पर चलने वाली कई सामाजिक संस्थाओं और समितियों की वो सदस्य रही हैं. रेडक्रॉस सोसाइटी जैसी संस्थाएं उन्हें सम्मानित करती रही हैं.
पिछले साल फिक्की ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करने वाली देश की जिन 150 महिलाओं को सम्मानित किया था, उसमें गिरिजा त्रिपाठी भी शामिल थीं. उन्हें कई स्थानीय कार्यक्रमों में बतौर अतिथि बुलाया जाता रहा था.
बताया जाता है कि ज़िले के अफ़सरों से लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं तक से उनके अच्छे संबंध रहे हैं और जानकारों के मुताबिक, यही वजह रही है कि उनकी संस्थाओं में अंदरखाने क्या हो रहा है, ये किसी को पता नहीं चल पाया और इन संस्थाओं को सरकारी फंड मिलता रहा.
गिरिजा त्रिपाठी की बेटी कंचनलता त्रिपाठी भी इन संस्थाओं को चलाने में उनका सहयोग करती थी और बीजेपी के एक नेता के साथ उनकी तस्वीर घटना के सामने आने के बाद काफ़ी चर्चा में है. कंचनलता त्रिपाठी भी फ़िलहाल पुलिस की गिरफ़्त में है.
वैसे दिलचस्प संयोग ये है कि कुछ समय पहले ही ज़िला पुलिस ने महिला ऐच्छिक ब्यूरो में गिरिजा त्रिपाठी को बड़ी भूमिका दी थी.
देवरिया के पुलिस अधीक्षक रोहन पी कनय बताते हैं, "जब तक किसी के बारे में कोई ग़लत जानकारी न मिल रही हो तो महिलाओं की सेवा में लगे किसी भी व्यक्ति या संस्था को सम्मानित करने में कोई हर्ज़ नहीं. लेकिन जैसे ही हमें अनियमितता की बात पता चली तो निगरानी भी रखी गई और सख़्ती भी बरती गई."
ज़िला प्रशासन के ही एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "गिरिजा त्रिपाठी, उनके कारनामे और उनकी प्रतिष्ठा उस राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक गठजोड़ की सच्चाई है जो दिखती सबको है लेकिन आधिकारिक और क़ानूनी रूप से सामने कभी-कभी ही आती है. डीएम, एसपी से लेकर ऐसा कोई अधिकारी नहीं होगा जिसे छोटे से शहर में स्थित इस संस्था के बारे में पता न हो लेकिन कभी ये जानने की कोशिश नहीं की गई कि यहां वास्तव में होता क्या है."
हालांकि ये अधिकारी एक झटके में गिरिजा त्रिपाठी को पूरी तरह दोषी भी नहीं ठहराते हैं. उनके मुताबिक ये मामला वास्तव में तब इतना तूल पकड़ा, जब विभागीय अधिकारियों से ही गिरिजा त्रिपाठी की अनबन हो गई.
ख़ुद गिरिजा त्रिपाठी भी गिरफ़्तार होने से पहले मीडिया से बात करते हुए ये कह चुकी हैं. उन्होंने चुनौती भी दी थी कि जिस लड़की ने महिला थाने जाकर यौन शोषण जैसी घटना का ज़िक्र किया है, उससे ये बातें ज़बरन कहलवाई गई हैं.
गिरिजा त्रिपाठी को जानने वाले दिनेश मिश्र बताते हैं कि गिरिजा त्रिपाठी ने पहले अपनी संस्था का काम चीनी मिल में अपने पति को मिले छोटे से कमरे से शुरू किया था लेकिन मिल के बंद हो जाने के बाद ये लोग साल 2002 के आस-पास देवरिया आकर यहीं काम करने लगे.
जानकारों के मुताबिक देवरिया आने के बाद इन लोगों का पहले से चल रहीं कई अन्य संस्थाओं से जुड़े लोगों से संपर्क हुआ और देखते-देखते गिरिजा त्रिपाठी देवरिया के जाने माने लोगों में शुमार हो गईं. धीरे-धीरे गिरिजा त्रिपाठी को बालिका गृह, शिशु गृह के साथ ही गोरखपुर और देवरिया में वृद्धाश्रम चलाने की भी अनुमति मिल गई.
गिरिजा त्रिपाठी के पड़ोसियों का कहना है कि इन सारी संस्थाओं को चलाते हुए उन्होंने काफ़ी संपत्ति अर्जित की और फिर देवरिया के ही रजला इलाक़े में एक शानदार घर बनवाया.
पड़ोसियों के मुताबिक़ ज़िले में आने वाला कोई बड़ा अधिकारी ऐसा नहीं था जिसकी गिरिजा त्रिपाठी से नज़दीकी न रही हो. यही वजह है कि देवरिया से लेकर दिल्ली तक उन्हें नारी संरक्षण और समाजसेवा के क्षेत्र में तमाम सम्मान और पुरस्कार मिले हैं.
स्टेशन रोड स्थित जिस संस्था पर गत दिनों छापा पड़ा, वहां भी परिवार परामर्श केंद्र चलता था जहां गिरिजा त्रिपाठी बिछड़े और टूटे परिवारों को मिलाने में सहयोग करती थीं.
फ़िलहाल गिरिजा त्रिपाठी, उनके पति मोहन त्रिपाठी और उनकी बेटी कंचनलता त्रिपाठी पुलिस की गिरफ़्त में हैं.