Wednesday, September 19, 2018

दुविधा में हैं हिंदू धर्म छोड़ने वाले वाल्मीकि लोग

रकारी योजनाओं के दुरुपयोग रोकने और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए आधार की योजना बनी थी, लेकिन इसे सभी क्षेत्रों में अनिवार्य बनाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
पासपोर्ट, बैंक खाते (जनधन के अलावा), ड्राइविंग लाइसेंस, मोबाइल समेत अनेक सुविधाओं में सरकारी सब्सिडी की सुविधा नहीं मिलती तो फिर उन्हें आधार से जोड़ना क्यों ज़रूरी है? सरकार ने इस पर समूचित स्पष्टीकरण शायद ही दिया गया हो.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के सोशल मीडिया हब के प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया तो फिर आधार के बढ़ते निगरानी तंत्र को कैसे जायज़ ठहराया जा सकता है?
आधार शुरू से ही विवादों में रहा है. कॉन्क्रीट की ऊँची दीवारों की सुरक्षा व्यवस्था के बीच आधार डेटा को पूर्ण सुरक्षित बताते हुए एटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में हैरतअंगेज़ दावे किेए. दूसरी ओर 2500 रुपये में आधार डेटा हैक करने के सॉफ्टवेयर की ख़बरों से लोग सकते में हैं.
यूआईडीएआई के 12 अंकों के आधार नंबर को गोपनीय रखने के लिए 16 अंकों की वर्चुअल आईडी (वीआईडी) व्यवस्था को लागू किया जाता है.
दूसरी ओर ट्राई के चेयरमैन आधार नंबर को सोशल मीडिया पर जारी करते ही डिजिटल कुश्ती शुरू हो जाती है.
  • यह भी पढ़ें | वर्चुअल आईडी से बचेगी 'आधार' की प्रतिष्ठा?सा माना जाता है कि हिंदुओं को शांत और सहिष्णु होना चाहिए. इसलिए जब हिंदुओं को ग़ुस्सा आता है तो लोग चकित हो जाते हैं, स्तब्ध रह जाते हैं. वो समझते हैं कि ये तो हिंदू धर्म का मूल नहीं है.आजकल चारों तरफ़ हिंदुओं का ग़ुस्सा बहुत दिखाई देता है, पर ज़्यादातर लोग इसे समझ नहीं पाते. समझने की कोशिश भी नहीं करते. ये बीमारी 100 साल से धीरे-धीरे बढ़ रही है और अब यह एक ज्वालामुखी की तरह फटा है.
    इसकी वजह है कि हिंदुओं को लगता है कि देश भर के जो दूसरे धर्म के मानने वाले हैं, या वे लोग जो ख़ुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, वे हिंदू धर्म के विरुद्ध हैं. इन लोगों के लिखने में या बोलने में हिंदू विरोधी पूर्वाग्रह दिखाई देता है.
    अगर आपको ईसाइयत को समझना हो तो आप बाइबिल पढ़ सकते हैं, इस्लाम को समझना है तो क़ुरआन पढ़ सकते हैं, लेकिन अगर हिंदू धर्म को समझना है तो कोई शास्त्र नहीं है जो यह समझा सके कि हिंदू धर्म क्या है. हिंदू धर्म शास्त्र पर नहीं बल्कि लोकविश्वास पर निर्भर है. इसका मौखिक परंपरा पर विश्वास है.
देशभर में लोगों को आधार कार्ड जारी करने के बाद इसे सुरक्षा के लिए ख़तरा बताया जाना बिना ठोस योजना के आधार के क्रियान्वयन को दर्शाता है.
आधार के दौर में राइट टू बी फॉरगॉटेन यानी जीवन में पहले घटित घटनाओं को भूलने का अधिकार- ट्राई द्वारा जारी कंसलटेशन पेपर और जस्टिस श्री कृष्णा समिति की रिपोर्ट के बावजूद जनता को अपने डेटा पर अधिकार नहीं मिला है. आधार के डेटा लीक और इससे नुकसान के लिए जनता को कैसे राहत मिल सकती है, इस बारे में भी आधार क़ानून में स्पष्टता नहीं है.
प्रस्तावित डेटा सुरक्षा क़ानून में यूआईडीएआई पर क़ानूनी जवाबदेही के माध्यम से आधार डेटा की सुरक्षा और हर्जाने का क़ानूनी तंत्र बनाया जा सकता है. यूरोपियन यूनियन की तर्ज़ पर श्री कृष्णा कमेटी ने राइट टू फॉरगॉटेन पर क़ानून बनाने की सिफारिश की है.
सवाल यह है कि सरकारी दफ़्तरों में क़ैद बायोमैट्रिक्स अब 120 करोड़ लोगों को भूलने की इजाज़त कैसे देंगे?
उत्तर भारत का हिंदू धर्म, दक्षिण भारत के हिंदू धर्म से अलग है. पाँच सौ साल पहले का हिंदू धर्म आज के हिंदू धर्म से बहुत अलग है. हर जाति, हर प्रांत और भाषा में हिंदू धर्म के अलग-अलग रूप होते हैं. यह विविधता ज़्यादातर लोगों की समझ में नहीं आती.
हिंदू धर्म को हज़ारों साल से ग़लत समझा गया है. जब मुसलमान भारत आए तो उन्होंने हिंदुओं को बुतपरस्त कहा और मूर्तिपूजा की निंदा की. उनको लगा कि मूर्तिपूजा ही हिंदू धर्म है. जब अंग्रेज़ आए तो उन्होंने कहा कि यह 'बहुदेववाद' है जिसे उन्होंने झूठ या मिथ्या का दर्ज़ा दिया और एकेश्वरवाद को सत्य बताया.
इससे भारतीय लोग दबाव में आए. अगर आप आज़ादी की लड़ाई के दौरान किया गया लेखन पढ़ें तो भारतीय बुद्धिजीवी एक तरह से बचाव की मु्द्रा में नज़र आते हैं. अंग्रेज़ों के दौर के ज्यादातर बुद्धिजीवी उनकी बात मानते हुए दिखते हैं. उन्होंने हिंदू धर्म को समझने की बजाय उसको सुधारने की कोशिश शुरू की.
उनके लेखन में हम देखते हैं कि सगुण भक्ति की निंदा, निर्गुण भक्ति की प्रशंसा, मूर्ति पूजा की निंदा, रीति-रिवाजों की निंदा - ये सब चलन में आया.
उन लोगों ने ऐसा हिंदू धर्म बनाने की कोशिश की जो पाश्चात्य धर्मों से जु़ड़ सकता हो. पाश्चात्य धर्मों में शास्त्र और नियम बहुत स्पष्ट हैं. एक प्रकार का सुधार आंदोलन शुरू हो गया.
हिंदू धर्म को एक ख़ास रूप देने का काम 200 साल पहले अंग्रेज़ों ने किया. और जब वो ये काम कर रहे थे तो उनकी जो पढ़ाई-लिखाई थी वो सब राजनीति से प्रेरित थी, इसलिए वे दिखाना चाहते थे कि हिंदू धर्म ईसाई धर्म से नीचे है.
धीरे-धीरे दुनिया जब धर्मनिरपेक्षता की तरफ़ गई तो हम अंग्रेज़ विद्वानों की जगह वामपंथी विचारकों की ओर देखने लगे. वामपंथी लोग धर्म को मानते ही नहीं है इसलिए वे हर धर्म की निंदा करते हैं. हिंदू धर्म की तो ख़ासतौर पर कड़ी निंदा करते हैं. उनके लेखन में ऐसा लगता है कि वे हिंदू धर्म का विश्लेषण कर रहे हैं या उसके बारे में लोगों को समझा रहे हैं, लेकिन किताबों के माध्यम से एक तरह का सुधार आंदोलन चलाया जाता है.
इस विचार में हिंदू धर्म को केवल स्त्री-विरोधी और जातिवादी मान लिया जाता है और हिंदू धर्म की बड़ी चीज़ों जैसे कि वेदांत को सिर्फ़ एक छलावा समझा जाता है.
वामपंथी विचारक समझाते हैं कि वेदांत और भारतीय दर्शन तो हाथी के दांत की तरह दिखाने के लिए हैं, हिंदू धर्म की सच्चाई तो जातिवाद ही है.

Tuesday, September 11, 2018

北极气温创下历史新高

路透社》报道一项美国的科学研究说,大量冰面融化直接导致了北极秋季气温攀升到历史最高。北极在最近几十年来受到全球变暖的影响越发明显,格陵兰岛的冰面已开始融化。

美国国家海洋和大气管理局的年度研究报告显示,秋季时北极的气温比往年的温度高出5摄氏度。他们认为,冰面的大量消失致使更多的阳光可直射到海面,并进一步提高了海水的温度。

空气和海洋的变暖影响了陆地和海洋活动,在冬季形成的海上浮冰很难再存留到夏季。驯鹿的数量,包括野生驯鹿也因而有所下降。

大多数专家认为人类活动形成的温室气体是气候变化的主要原因。

美国国家冰雪数据中心的研究人员认为,北极冰层在2008年降到了30年来的最低点。现有的水平比1979年至2000年间的平均水平低34%,但相对于从1979到2007年的平均水平则高出9%。

据《路透社》报道,阿根廷政府规定,任何企业如果从事对环境构成危险的生产活动,就必须购买生态保险。该政府宣称他们是世界上第一个做这样规定的国家。初步的数字显示,大约有35,000家公司将需要购买保险。

阿根廷国会于2002年通过了有关生态保险的法律,但该法案直到上个月才得到执行。生态保险的价格是由企业的活动、生产量以及对环境构成的潜在风险决定的,每年的价格由12万比索(约合36,090美元)到5000万比索(约合1500万美元)不等。

环保部副部长塞吉欧里昂·考德斯说:“阿根廷在该地区环境保险问题上起到了带头人的作用。欧洲发售了很多种非强制性的环境保险,因为政府并不需要做这方面的规定。考虑到阿根廷的情况,我们认为对这一问题必须进行立法。”
据《路透社》报道,上海将会采取一个简化版本的北京车辆管理办法,对市内交通进行管制。通过实行这一制度,上海有望改进空气质量,减少交通阻塞并节约能源。

从下月开始,上海所有政府和国企的公务车将在每周五天中的一天被禁止上路。具体的日期是由车牌号码决定的。

与北京的管制方法不同,在上海,这一车辆限制并不强行限制私家车上路。一位官员说,尽管如此,我们鼓励上海的社会车辆也遵循该管制。

北京在八月份召开奥运时推出了限制车辆出行的交通管制办法,并确实达到了改进空气质量和减少交通拥堵的目的。上周一重新开始的管制使80万辆车不能上路,但是高峰时期的交通拥堵仍然存在。

Saturday, September 1, 2018

美国对华煤炭出口恐难持久

美国和中国是世界上两个最大的经济体,也是两个最大的煤炭生产和消费国,同时还是最大的二氧化碳排放国。但是,近年来,两国的煤炭之路开始出现分歧。

过去几年,由于天然气价格低廉,美国的煤炭消费量剧降。国内需求的疲软,使得美国煤炭产业开始竭力在国际市场寻找出路。去年,美国煤炭出口量达到创纪录的1.14亿吨。

但是,值得注意的是,美国煤炭的“改道”可能并非永久性的。就像我的同事克里斯汀·米克在之前的一篇博客文章中指出的,美国电力部门的煤炭使用量从2012年底已经开始回升,很可能是出于天然气价格升高的原因。

在地球的另一侧,中国对煤炭的需求持续增长。为此,中国电力企业把目光转向国际市场,寻求更加可靠、价格更低的煤炭来源,美国就是其中之一。2012年,中国的煤炭进口量为2.9亿吨。中国是美国煤炭的第三大出口目的国,仅次于荷兰和英国。

尽管美国煤炭产业的许多人都看到了中国作为其出口市场的巨大潜力,但长期前景可能并非像他们希望的那么美好。

美国决不应忽视中国煤电产业中蕴含的经济风险。中国燃煤电厂常年的业绩不佳已经导致过去几年对煤炭的相关投资大减。此外,中国对于国内环境问题,尤其是空气污染的公众关注日益增强,新一届领导人已经将环境措施放到了工作日程上近乎首要的位置。最后,澳大利亚、印尼等其他煤炭出口国距离太平洋市场的比美国更近,残酷的竞争会使美国煤炭出口在这个市场上铩羽而归。

再者,有迹象表明中国的煤炭需求可能会在2020年前达到峰值,接下来就会迎来长期大幅下降。正如斯科特·思茅斯在最近一次活动上指出的,美国对华煤炭出口增加的潜力也将受到大型煤炭出口终端建设情况的很大影响。这里的风险在于:等到美国的新出口设施建好的时候,中国的煤炭进口热潮可能已经过去了。

尽管美中两国在进出口角色上出现分歧,但两国仍然有很多共同点,包括对化石燃料的依赖。如果我们真正要向一个更加可持续的未来转型,美中两国的眼光就应该超越短期的经济机遇。很显然,有很多合作和经济增长的机遇超越了煤炭市场,指向一个更清洁、更安全的未来。

爱伦·杨,世界资源研究所新兴经济大国团队高级经理。